Class 12 Samanya Hindi “सन्धि-प्रकरण”

Class 12 Samanya Hindi सन्धि-प्रकरण

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BoardUP Board
TextbookNCERT
ClassClass 12
SubjectSamanya Hindi
ChapterChapter 1
Chapter Name“सन्धि-प्रकरण”
Number of Questions65
CategoryClass 12 Samanya Hindi

UP Board Master for Class 12 Samanya Hindi सन्धि-प्रकरण

सन्धि -प्रकरण

नवीनतम पाठ्यक्रम में स्वर सन्धि के दीर्घ, गुण, यण तथा अयादि भेद, ही निर्धारित हैं। इससे सामान्यतया बहुविकल्पीय प्रश्न ही पूछे जाते हैं। इसके लिए कुल 3 अंक निर्धारित हैं।
सन्धि–सन्धि का अर्थ है ‘मेल’ या ‘जोड़। जब दो शब्द पास-पास आते हैं तो पहले शब्द का अन्तिम वर्ण और दूसरे शब्द का आरम्भिक वर्ण कुछ नियमों के अनुसार आपस में मिलकर एक हो जाते हैं। दो वर्गों के इस एकीकरण को ही ‘सन्धि’ कहते हैं। उदाहरणार्थ-देव + आलये = देवालय। यहाँ ‘देव’ (द् + ए + व् + अ) शब्द का अन्तिम ‘अ’ और ‘आलय’ शब्द का प्रारम्भिक ‘आ’ मिलकर ‘आ’ बन गये।
प्रकार–सन्धियाँ तीन प्रकार की होती हैं—(अ) स्वर सन्धि, (ब) व्यञ्जन सन्धि और (स) विसर्ग सन्धि।

स्वर सन्धि

स्वर के साथ स्वर के मेल को स्वर सन्धि कहते हैं। उपर्युक्त ‘देवालय’ स्वर सन्धि का ही उदाहरण है। कुछ स्वर सन्धियाँ (पाठ्यक्रम में निर्धारित) नीचे दी जा रही हैं-
(1) दीर्घ सन्धि
सूत्र-अकः सवर्णे दीर्घः।
नियम-जब अ, इ, उ, ऋ, लू ( ह्रस्व या दीर्घ) के बाद समान स्वर (अ, इ, उ, ऋ, –ह्रस्व या दीर्घ) आता है तो दोनों के स्थान पर आ, ई, ऊ, ऋ, ऋ( लू नहीं )( दीर्घस्वर ) हो जाता है; जैसे–

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[विशेष-‘ऋ’ और ‘लू’ सवर्ण संज्ञक हैं, अत: समान स्वर माने जाते हैं। ‘ऋ’ और ‘लू’ में किसी भी स्वर के पूर्व या पश्चात् होने पर सन्धि होने पर दोनों के स्थान पर ‘ऋ’ ही होता है; क्योंकि संस्कृत में दीर्घ ‘लु’ (लू) नहीं होता है। ]

(2) गुण सन्धि
सूत्र-आद्गुणः।
नियम-यदि ‘अ’ या ‘आ’ के बाद इ-ई, उ-ऊ, ऋ, लू आएँ तो दोनों के स्थान पर क्रमशः ‘ए’, ‘ओ’, ‘अर्’ तथा ‘अल्’ हो जाता है; जैसे-

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(3) यण् सन्धि
सूत्र-इको यणचि।
नियम-यदि इ, उ, ऋ, लू (ह्रस्व या दीर्घ) के बाद कोई असमान स्वर आता है तो इ-ई, उ-ऊ, ऋ-ऋ, लू के स्थान पर क्रमशः य, व, र, ल्हो जाता है; अर्थात् इ-ई का य्, उ-ऊ का व्,ऋ-ऋ कार्, लू का लु हो जाता है; जैसे–

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(4) अयादि सन्धि
सूत्र–एचोऽयवायावः।
नियम-जब एच् (ए, ओ, ऐ, औ) के आगे कोई स्वर आये तो इन ए, ओ, ऐ, औ के स्थान पर क्रमशः अय्, अव्, आय् और आव् हो जाता है; जैसे-

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बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न निम्नलिखित के सही विकल्प चुनकर उत्तर पुस्तिका में लिखिए-

(1) ‘देवालयः’शब्द का सन्धि-विच्छेद है
(क) देवा + लयः
(ख) देवि + आलयः
(ग) देव + आलयः
(घ) दे + वालयः

(2) गिरीशः’ शब्द का सन्धि-विच्छेद है
(क) गिरी + शः
(ख) गि + रीशः
(ग) गिरि + ईशः
(घ) गिरी + ईश:

(3) ‘साधूवाच’ शब्द का सन्धि-विच्छेद है
(क) साधू + वाच
(ख) साधु + उवाच
(ग) साधू + उवाच
(घ) सा + धूवाच

(4) परमेश्वरः’ शब्द को सन्धि-विच्छेद है
(क) पर + मेश्वरः
(ख) परमेश + वरः
(ग) परम + ईश्वरः
(घ) परमे + श्वरः

(5) ‘महर्षिः’ शब्द का सन्धि-विच्छेद है
(क) मह + र्षिः
(ख) म + हर्षिः
(ग) महा + ऋषिः
(घ) महा + रिषिः।

(6) ‘मध्वरिः’शब्द का सन्धि विच्छेद है–
(क) मधु + अरिः
(ख) मधु + वरिः
(ग) म + ध्वरिः
(घ) मध्व + रिः

(7) ‘स्वागतम्’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) स्वा + गतम्
(ख) स्वागत + म्
(ग) सु + आगतम्
(घ) स्वाग + तम्।

(8) ‘प्रत्युत्तर’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) प्रत्यु + त्तर
(ख) प्रति + उत्तर
(ग) प्र + त्युत्तर
(घ) प्रती + उत्तर

(9) ‘पवनम्’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) पव + नम्
(ख) पवन् +अम्।
(ग) पो + अनम्।
(घ) पवन + म्।

(10) ‘नयनम्’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) ने + अनम्
(ख) नये + नम्।
(ग) नै + अनम्
(घ) नयन + म्।

(11) ‘पुस्तकालय:’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) पुस्त + कालय:
(ख) पुस्तका + लय:
(ग) पुस्तक + आलय:
(घ) पुस्तक + लय:

(12) ‘रमेश:’ का सन्धि-विच्छेद है-
(क) रम + एशः।
(ख) रम + इशः
(ग) रमा + एशः।
(घ) रमा + ईशः।

(13) ‘इत्यादि’ का सन्धि-विच्छेद है–
(क) इति + आदि
(ख) इत्य + आदी
(ग) इत + आदि
(घ) इती + आदि।

(14) नदीशः’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) नदि + ईशः
(ख) नदी + शः
(ग) नदी + ईशः
(घ) ना + दोशः

(15) ‘यद्यपि’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) यद्य + अपि
(ख) य + द्यपि
(ग) यद्या + अपि
(घ) यदि + अपि

(16) ‘सूर्योदय:’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) सूर्य + उदयः.
(ख) सूयों + दयः
(ग) सूर + ओदय:
(घ) सूर + उदय:

(17) ‘कवीश्वरः’का सन्धि-विच्छेद है
(क) कवि + ईश्वरः
(ख) कवि + श्वरः
(ग) कवि + इश्वरः
(घ) कवी + ईश्वरः

(18) ‘उपेन्द्रः’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) उपे + इन्द्रः
(ख) उप + ईन्द्रः
(ग) उप + इन्द्रः
(घ) उपा + इन्द्रः

(19) विद्यार्थी’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) विद्य + अर्थी
(ख) विद्या + अर्थी
(ग) विद्य + आर्थी
(घ) विदि + आर्थी।

(20) ‘देवर्षिः’का सन्धि-विच्छेद है
(क) देवः + ऋषि
(ख) देवा + ऋषि:
(ग) देव + ऋषिः
(घ) देव + अर्षि:

(21) ‘परमार्थः’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) परम + अर्थः
(ख) पर + मर्थः
(ग) पर + मार्थः
(घ) परमा + अर्थ:

(22) ‘महोत्सवः’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) महो + उत्सवः
(ख) महा + उत्सर्वः
(ग) मह + ओत्सवः
(घ) महोत + सवः

(23) ‘भवनम्’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) भव + नम्।
(ख) भव् + अनम्।
(ग) भो + अनम्
(घ) भ + वनम्

(24) ‘रवीन्द्रः’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) रवी + इन्द्रः
(ख) रवि + ईन्द्रः
(ग) रवि + इन्द्रः
(घ) रवी + ईन्द्रः

(25) ‘मुरारिः’ को सन्धि-विच्छेद है
(क) मुर + अरिः
(ख) मुरा + अरिः
(ग) मुर + आरिः
(घ) मु + रारि:

(26) ‘अन्विति’ का सन्धि-विच्छेद है–
(क) अन्वि + ति
(ख) अनु + इति
(ग) अन्वि + इति.
(घ) अन् + इति

(27) ‘भू’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) भू + उर्ध्व
(ख) भु + ऊर्ध्व
(ग) भू + ऊर्ध्व
(घ) भू + र्ध्व

(28) ‘अम्बूर्मिः’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) अम्बू + उर्मिः
(ख) अम्बु + उर्मि:
(ग) अम्बू + ऊर्मि
(घ) अम्बु + ऊर्मिः

(29) ‘रामाशीषः’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) रामः + आशीषः
(ख) रामाः + शीषः
(ग) रामाः + आशीषः
(घ) रामाश् + ईष:

(30) ‘क्षीरनिधाविव’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) क्षीरनिधा + विव
(ख) क्षीरनिध + आविव
(ग) क्षीरनिधौ + इव
(घ) क्षीरनिध् + आविव

(31) ‘देशाभिमान’ को सन्धि-विच्छेद है
(क) देशा + भिमान
(ख) देश + अभिमान
(ग) देशा + अभिमान
(घ) देश + भिमान

(32) ‘सतीशः’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) सत + ईशः
(ख) सत् + ईशः
(ग) सति + इशः
(घ) सती + ईशः

(33) ‘सुखार्थिनः’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) सुख + अर्थिनः
(ख) सुखा + अर्थिनः
(ग) सुख + आर्थिन:
(घ) सुखार् + थिन:

(34) ‘सुरेन्द्रः’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) सुरा + इन्द्रः
(ख) सुर + एन्द्रः
(ग) सुरे + न्द्रः
(घ) सुर + इन्द्रः

(35) ‘उपोषति’ का सन्धि-विच्छेद है–
(क) उप + ओषति
(ख) उपो + षति
(ग) उ + पोषति
(घ) उपोष + ति

(36) ‘सज्जनः’ का सन्धि-विच्छेद है–
(क) सद् + जनः
(ख) सत् + जनः
(ग) सद् + अजन:
(घ) सतो + जनः

(37) ‘रामस्तरति’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) राम + तरति
(ख) रामः + तरति
(ग) राम + स्तरति
(घ) राम + रति

(38) ‘भावुकः’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) भौ + उकः
(ख) भाऊ + अक:
(ग) भौ + उक:
(घ) भाव + उक:

(39) ‘मधुराक्षरम्’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) मधुरा + क्षरम्
(ख) मधुर + आक्षरम्
(ग) मधुर + अक्षरम
(घ) मधु + राक्षरम्

(40) ‘अन्वर्थः’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) अ + न्वर्थः
(ख) अन्व + वर्थ:
(ग) अनु + अर्थः
(घ) अनु + वर्थः

(41) ‘शायकः’ को सन्धि-विच्छेद है
(क) शाय + यक:
(ख) शायि + अर्कः
(ग) शै + अकः
(घ) शाय् + अकः

(42) ‘जयति’ का सन्धि-विच्छेद है- [2014, 15] (ग) जे + अति
(क) जा + यति
(ख) जो + अति
(ग) जे + अति
(घ) जय + ति

(43) ‘कमलोदयः’ का सन्धि-विच्छेद है–
(क) कमलो + दयः
(ख) कमल + ओदयः
(ग) कमल + उदयः
(घ) कम + लोदय:

(44) ‘शुक्लाम्बरम्’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) शु + क्लाम्बरम्।
(ख) शुक्ला + अम्बरम्
(ग) शुक्ल + अम्बरम्।
(घ) शुक्ल + आम्बरम्

(45) ‘महीशः’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) महा + ईशः
(ख) मही + शः
(ग) महे + ईशः
(घ) मही + ईश

(46) ‘पवनः’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) पो + नः
(ख) पव + नः
(ग) पो + अनः
(घ) पू + वनः

(47) ‘वसन्तोत्सव’ का सन्धि-विच्छेद है-
(क) वसन्ते + तत्सवः
(ख) वसन्तो + उत्सव
(ग) वसन्त + उत्सवः
(घ) वसं + तोत्सवः

(48) ‘तथैव’ का सन्धि-विच्छेद है-
(क) तथ + एव
(ख) तथा + वेव
(ग) तथा + एव
(घ) तथै + एव

(49) ‘अखिलेशः’ का सन्धि-विच्छेद है-
(क) अखिल + एशः
(ख) अखिल + ईशः
(ग) अखिला + ईशः
(घ) अखल + ईशः

(50) ‘कदापि’ का सन्धि-विच्छेद है-
(क) कद + अपि
(ख) कत् + अपि
(ग) कत + अपि
(घ) कदा + अपि

(51) ‘रामायण’ का सन्धि-विच्छेद है-
(क) रामा + अयण
(ख) राम + आयण
(ग) राम + अयण
(घ) रा + मायण

(52) ‘लाकारः’ का सन्धि-विच्छेद है-
(क) ला + कारः
(ख) + अकार:
(ग) ला + आकार:
(घ) लृ + आकार:

(53) ‘पद्मेशः’ का सन्धि-विच्छेद है–
(क) पद्मा + ईशः
(ख) पद्म + एशः
(ग) पद्मा + इशः
(घ) पद + मेशः

(54) ‘वागीशः’ का सन्धि-विच्छेद है-
(क) वाग् + ईशः
(ख) वाक् + ईश:
(ग) वागी + शः
(घ) वा + गीशः

(55) ‘तल्लीन’ का सन्धि-विच्छेद है-
(क) तद् + लीनः
(ख) त + लीन:
(ग) तदली + नः
(घ) तदी + लीन:

(56) ‘रामेश:’ का सन्धि-विच्छेद है-
(क) राम् + ईशः
(ख) राम + एशः
(ग) राम + ईश:
(घ) राम + इशः

(57) ‘प्रगल्भापकारः’ का सन्धि-विच्छेद है-
(क) प्रगल्भ + उपकारः
(ख) प्रगल्भा + पकारः
(ग) प्रगल्भ + अपकारः
(घ) प्रगल्भ् + अपकारः

(58) ‘रामावतारः’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) रामा + वतार
(ख) रामाव + तारः
(ग) राम + अवतार:
(घ) रम + वतार:

(59) ‘पद्माशयः’ का सन्धि-विच्छेद है–
(क) पद्म + आश्रयः
(ख) पद्मा + अश्रयः
(ग) पद्मा + श्रयः
(घ) पद्मा + आश्रयः

(60) शैलजेशः’ का सन्धि-विच्छेद है—
(क) शैलज + एशः
(ख) शैलजा + ईशः
(ग) शैल + जैश
(घ) शैलजा + इशः

(61) ‘प्रभृत्येव’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) प्रभृती + एव
(ख) प्रभृति + एव
(ग) प्रभृ + त्येव
(घ) प्रभृति + इव

(62) ‘ग्रामोदय’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) ग्राम + ओदयः
(ख) ग्रामो + दयः
(ग) ग्राम + उदयः
(घ) ग्रा + मोदयः

(63) देवेन्द्रः’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) देव + इन्द्रः
(ख) देवे + इन्द्रः
(ग) दे + वेन्द्रः
(घ) देव + इन्द्रः

(64) ‘प्रत्यर्पण’ को सन्धि-विच्छेद है
(क) प्रति + अर्पण
(ख) प्रती + पर्ण
(ग) प्र + अतिपर्ण
(घ) प्रत्य + पर्ण

(65) कलाविव’ का सन्धि-विच्छेद है
(क) कला + विवे
(ख) कल् + अविवे
(ग) कलौ + इव
(घ) कलो + ईव

उत्तर
(1) ग, (2) ग, (3) ख, (4) ग, (5) ग, (6) क, (7) ग, (8) ख, (9) ग, (10) क, (11) ग, (12) घ, (13) क, (14) ग, (15) घ, (16) क, (17) के, (18) ग, (19) ख, (20) ग, (21) के, (22) खे, (23) ग, (24) ग, (25) क, (26) ख, (27) ग, (28) घ, (29) क, (30) ग, (31) ख, (32) घ, (33) क, (34) घ, (35) के, (36) ख, (37) ख, (38) क, (39) ग, (40) ग, (41) ग, (42) ग, (43) ग, (44) ग, (45) क, (46) ग, (47) ग, (48) ग, (49) ख, (50) घ, (51) ग, (52) घ, (53) क, (54) क, (55) क, (56) ग, (57) ग, (58) ग, (59) क, (60) के, (61) ख, (62) ग, (63) क, (64) क, (65) ग।।

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