Board | UP Board |
Text book | NCERT |
Class | 12th |
Subject | English |
Chapter | Chapter 3 |
Chapter name | THE SECRET OF HEALTH SUCCESS AND POWER |
Chapter Number | Number 1 Introduction |
Category | English PROSE Class 12th |
UP Board Chapter 3 Class 12 English
- UP Board Chapter 3 Class 12th THE SECRET OF HEALTH SUCCESS AND POWER
- UP Board Chapter 3 Class 12th Summary of the Lesson
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Introduction to the lesson
Introduction to the lesson: This essay has been written by James Allen. This essay has been taken from his book ‘From Poverty to Power’. In this essay JamesbAllen has discussed the secret of health, success and power. He has suggested a number of things which help us in bringing success. Good health, faith, pure thoughts and utilization of our energies take us to the goal. The author emphesises over having a single aim and we must be devoted to it whole heartedly. This is how a person succeeds to have health, success and power.
पाठ का परिचय
पाठ का परिचय-प्रस्तुत लेख James Allen के द्वारा लिखा गया है। यह निबन्ध उनकी पुस्तक ‘From Poverty to Power’ से लिया गया है। इस निबन्ध में जेम्स एलन ने स्वास्थ्य, सफलता और। शक्ति का विश्लेषण किया है। उन्होंने सफलता प्राप्त करने के कई तरीकों का सुझाव दिया है। अच्छा
स्वास्थ्य, आस्था, शुद्ध विचार और अपनी शक्तियों का सदुपयोग हमें लक्ष्य की ओर ले जाते हैं। लेखक हमें एकमात्र लक्ष्य बनाने पर बल देता है और हमें उसके प्रति समर्पित भी रहना चाहिए। इस प्रकार मनुष्य स्वास्थ्य, सफलता और शक्ति प्राप्त कर सकता है।
पाठ का हिन्दी अनुवाद
Para 1
Para 1: जहाँ अटूट विश्वास और जीवन की पवित्रता उपस्थित रहती है, वहीं स्वास्थ्य, सफलता और सामर्थ्य रहती है। ऐसे व्यक्ति में अस्वस्थता, असफलता और दुर्भाग्य के लिए कोई स्थान नहीं होता, क्योंकि ऐसे व्यक्ति में ऐसा कुछ भी नहीं होता जहाँ बीमारी तथा खतरे फल-फूल सकें।
Para 2
Para 2 : हम जितनी शीघ्रता से यह अनुभव करें और स्वीकार करें कि बीमारी हमारी अपनी गलतियों और बुरे कर्मो का फल है, उतनी शीघ्रता से ही हम आरोग्य को प्राप्त कर सकेंगे। बीमारी उनक। पास आती है जो उसे बुलाते हैं, वह उनके पास आती है जिनका मन और शरीर उनको ग्रहण करना चाहते हैं। बीमारी उनसे दूर भागती है जिनके मन शक्तिशाली, शुद्ध और सकारात्मक सोच से ओत-प्रोत रहते हैं।
Para 3
Para 3 : यदि आप क्रोध, चिन्ता, ईर्ष्या, लालच अथवा किसी अन्य अशान्त मानसिक स्थिति के वश में हैं और पूर्ण शारीरिक स्वास्थ्य की कामना करते हैं तो आप असम्भव कार्य को सम्भव करने का आशा करते हैं, क्योंकि आप थोड़े-थोड़े समय के बाद लेकिन लगातार अपने मन में बीमारी के बीज बो रहे हैं। बुद्धिमान व्यक्ति ऐसी मानसिक दशाओं से सतर्कतापूर्वक घृणा करते हैं, क्योंकि उन्हें मालूम है कि ऐसी अवस्था गन्दी नाली या रोगाणुओं से भरे मकान से भी अधिक खतरनाक है।
Para 4
Para4: अगर आप सभी शारीरिक दर्द और कष्टों से मुक्त होना चाहते हैं और पूर्ण शारीरिक स्वस्थता का आनन्द लेना चाहते हैं तो अपने मस्तिष्क को अनुशासित करें और अपने विचारों में ताल-मेल बनाये रखे। प्रसन्नता देने वाले विचार बनाइए. प्रिय विचार सोचिए, सद्भावना को मजबूत आधार दीजिए। आपको अन्य किसी औषधि की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। अपनी ईया, शका, चिन्ता. धुणा, स्वार्थपूर्ण कार्य के अभ्यास को दूर भगाइए और अपने शारीरिक कष्टों जैसे अपच, यकृत सम्बन्धी बीमारी, घबराहट और जोड़ों के दर्द से छुटकारा पा जाएँगे। यदि आप भ्रष्ट करने वाले विचारों से चिपक रहेंगे जो आपको कमजोर बनाते है तो यह शिकायत नहीं कीजिए कि आप अस्वस्थ हो गये।
Para 5
Para 5: अनेको लोग यह शिकायत करते हैं कि कार्य की अधिकता के कारण उनका स्वास्थ्य खराब हो गया है। एसे मामलों में अधिकतर स्वास्थ्य खराब मुर्खतापूर्ण ढंग से शक्ति नष्ट करने पर हाता है। यदि आप स्वास्थ्य को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो आपको चिन्तारहित होकर कार्य करना सीखना
चाहिए। बेचैन होना, उत्तेजित होना या अनावश्यक बातों पर चिन्तित होना, खराब, स्वास्थ्य को निमन्त्रण देना होता है। कार्य चाहे मानसिक हो या शारीरिक, लाभदायक और स्वास्थ्यवर्धक होता है। जो व्यक्तिbमानसिक शान्ति भंग किए बिना लगातार दृढतापूर्वक कार्य करता रहता है, जो सभी कष्टों और चिन्ताओं से रहित होता है वह अपने हाथ में आए कार्य के अतिरिक्त अन्य सभी बातों से विस्मृत होकर कार्य कर सकता है। वह अपने कार्य को और अधिक अच्छी तरह से कर सकेगा मुकाबले उस व्यक्ति के जो हमेशा शीघ्रता में बेचैन होता है। प्रथम प्रकार का व्यक्ति वरदानस्वरूप अपना स्वास्थ्य भी बनाए रखता है जबकि दूसरे प्रकार का व्यक्ति शीघ्रता से सजा के रूप में अपने स्वास्थ्य से हाथ धो बैठता है।
Para 6
Para6: वास्तविक स्वास्थ्य और सच्ची सफलता साथ-साथ चलते हैं, क्योंकि वे विचारों की दुनिया में इस प्रकार घुले-मिले रहते है कि अलग नहीं हो सकते। विश्वास की शक्ति से स्थायी महत्व का प्रत्येक कार्य सम्पन्न हो जाता है। यदि आप सफलता चाहते हैं. खड़े होना चाहते हैं और गिरना नहीं
चाहते तो ईश्वर में विश्वास, ब्रह्माण्ड को शासित करने वाले नियम में विश्वास, अपने कार्य में विश्वास और कार्य को करने की अपनी शक्ति में विश्वास आपके क्रिया-कलापों का आधार बनना चाहिए। सभी परिस्थितियों में आप अपनी अन्तरात्मा की आवाज का अनुसरण करेंः सहज अच्छाई के प्रति हमेशा सच्चे रहे. आत्मा की सटीक आवाज, जो हमारे जीवन में सच्ची पथ-प्रदर्शक है: के अनुसार कार्य करें, और उस पर आधारित रहें. निर्भीक तथा शान्त हृदय से अपने लक्ष्य का अनुगमन करें, यह विश्वास करें कि
आने वाला समय आपके प्रत्येक विचार और प्रयत्न की आवश्यकता को पूरा करेगा; यह विश्वास करें कि
अच्छे कार्यों के अच्छे तथा बुरे कार्यों के बुरे परिणाम होते हैं। यह ब्रह्माण्ड का नियम है कि आप अच्छा करेंगे तो अच्छा पायेंगे और बुरा करेंगे तो बुरा पायेंगे। यह एक विश्वास है और विश्वास ही जीवन है। ऐसे विश्वास की शक्ति से जीवन में प्रत्येक चीज सुनिश्चित हो जाती है; भयंकर कठिनाइयाँ भी झुक जाती हैं तथा विश्वासपूर्ण आत्मा बिना किसी हानि के अग्रसर होती है। हे पाटका प्रत्येक चीज से ऊपर इस मक विश्वास की अमूल्य सम्पत्ति प्राप्त करने का प्रयास कीजिए। क्योंकि यह प्रसन्नता, सफलता, शान्ति, शक्ति तथा उन सब बातों, जो कष्ट के सापेक्ष जीवन कोमल तथा श्रेष्ठ बनाती हैं, का ताबीज है। यदि आप ऐसे विश्वास पर निर्माण कार्य करते है तो समझो आप उसकी स्थायी रूप से सुदद नींव रखते हैं. हमेशा टिकने वाली सामग्री का प्रयोग करते हैं,
और वह ढाँचा जो आप खड़ा करेंगे, कभी नहीं गिरेगा। क्योंकि वह सांसारिक सम्पत्तियों, जिनका अन्त शून्य है, से अच्छा होगा। चाहे आपको दुख के गहरे समुद्र में फेंक दिया जाए या आनन्द के शिखर पर बैठा दिया जाए. आप अपने इस विश्वास पर मशा अपना अधिकार बनाए रखें, हमेशा इस शक्तिशाला शरण देने वाले स्थान पर वापस आएँ और इसकी दद नींव पर अपने पैर जमाकर रखें। ऐसे विश्वास में कान्द्रत होकर, आपके भीतर ऐसी आठ पात्मक शक्ति आ जाएगी जो बुराई की ताकतों को, जो आपके ऊपर डाली जाती हैं. ऐसे नष्ट कर देंगी जस काँच के खिलौने टकर नष्ट हो जाते है तथा आप ऐसी सफलता प्राप्त करेंगे जिसको सांसारिक
जानन्द खोजने वाला कभी जान भी नहीं पाएगा, बल्कि वह उसका कल्पना तक नहीं कर सकेगा।
Para 7
Para7: यदि आपके अन्दर यह विश्वास पैदा हो जाए तो आपको अपने भविष्य की सफलता या असफलता के बारे में चिन्तित होने की आवश्यकता नहीं रहेगी और आपको सफलता प्राप्त होगी।
आपको परिणाम के बारे में चिन्तित नहीं होना पड़ेगा। आप प्रसन्नतापूर्वक तथा शान्ति के साथ कार्य कीजिए, यह जानते हए कि सही विचार और सही प्रयास आवश्यक रूप से सही परिणाम देंगे।
Para 8
Para8: आपकी सफलता, असफलता, आपका प्रभाव, आपका सम्पूर्ण जीवन जो आप जी रहे है. आपकी नियन्त्रण करने वाली विचारधाराएँ आपके भाग्य के निर्णायक कारक हैं। आप जीवित, शुद्ध और प्रसन्नतापूर्ण विवार प्रस्तुत कीजिए तो आपके हाथों में आशीर्वाद बरसेंगे और आपकी मेज पर शन्ति का कपड़ा बिछेगा। यदि आप घृणित, अपवित्र और दुखदायी विचार प्रस्तुत करेंगे तो आपके ऊपर अभिशारों की वर्षा होने लगेगी तथा भय और अशान्ति के कारण आपको नींद भी नहीं आएगी। आप अपने भाग्य के एकमात्र बनाने वाले हैं, वह भाग्य कुछ भी हो। आप प्रत्येक क्षण ऐसे प्रभाव प्रस्तुत करते रहते हैं जो । आपके जीवन को बनाएंगे या नष्ट करेंगे। आपका हृदय विशाल, स्नेहपूर्ण, स्वार्थरहित और ओजस्वी बने
तो आपका प्रभाव और सफलता स्थायी होंगे, भले ही आप कुछ धन न कमाएँ। आप अपने हृदय को स्वार्थों की तंग सीमाओं में सीमित करें तो भले ही आप लखपति बन जाएँ, आपका प्रभाव और सफलता अन्त में पूरी तरह से महत्वहीन होंगे।
Para 9
Para 9 : अतः इस पवित्र और निःस्वार्थ भावना को विकसित करें और अपने लक्ष्य के प्रति समर्थन को पवित्रता और विश्वास के साथ जोड़ें तो आप अपने हृदय से मूल तत्व बाहर निकालेंगे जो केवल पूर्ण स्वास्थ्य और स्थायी सफलता ही नहीं लाएँगे बल्कि भव्यता और शक्ति भी प्रदान करेंगे।
Para 10
Para 10 : आपका कार्य कुछ भी हो, आप अपना मन उसमें लगाएँ, अपनी क्षमता के अनुसार पूरी शक्ति उसमें लगा दे। छोटे कार्यों के अटिहीन समापन अपरिहार्य रूप से और बड़े कार्यों की ओर मार्ग प्रशस्त करते है। ध्यान में रखें, आपकी ऊपर चढ़ने की गति नियमित हो और आप ऊपर उठ जाएँ, तो
आप कभी नीचे नहीं गिरेंगे। इसी बात में सच्ची शक्ति का रहस्य छिपा है। लगातार अभ्यास से आप सीखेंगे कि अपने संसाधनों की सही ढंग से व्यवस्था कैसे की जाए और उनको किसी भी क्षण एक विशेष
कार्य के लिए किस प्रकार केन्द्रित किया जाए। मूर्ख लोग अपनी समस्त मानसिक और आध्यात्मिक शक्तियों को मूर्खतापूर्ण कार्यों, बकवास या स्वार्थपूर्ण दलीलों में नष्ट करते है, वे हानिकारक कार्यों जैसे-आवश्यकता से अधिक खाना-पीना जो अस्वास्थ्यकर है. में प्रयोग करते हैं जिनका क्या उल्लेख किया जाए।
Para 11
Para11: यदि आप दूसरों पर विजय प्राप्त करने की शक्ति प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको मस्तिष्क की शन्ति और सन्तुलन विकसित करना चाहिए। आपमें अकेला खड़ा होने की शक्ति होनी चाहिए। पूरी शक्ति दृढ़ता से जुड़ी होती है। पर्वत, विशाल चट्टान, शाहबलूत का वृक्ष जो तूफानों में भी
वता से खड़ा रहता है, ये सब हमें शक्ति का सन्देश देते हैं, क्योंकि उनमें एकान्त की शान और कभी न हिलने वाली दृढ़ता मिली होती है। जबकि उड़ने वाली रेत, झुकने वाली टहनी और हिलती हुई नरकुल
हमें कमजोरी का सन्देश देते हैं, क्योंकि वे हिलने दाले हैं तथा अवरोध रहित हैं और जब वे अपने साथियों से अलग हो जाते हैं तो पूरी तरह देकार हो जाते हैं। वह व्यक्ति शक्ति वाला होता है, जिसकेbसाथी किसी मनोवेग या वासना के कारण अलग हो जाते हैं, जो हमेशा शान्त और स्थिर रहता है।
Para 12
Para 12 : जो व्यक्ति स्वयं को नियन्त्रित और आदेशित करने में सफल रहता है वही दूसरों परbनियन्त्रण रखने के लिए उपयुक्त है। मिर्गीग्रस्त, भयभीत, विचारहीन और मूर्ख लोग हमेशा संगति की । तलाश करते रहते हैं अन्यथा वे सहारा न मिलने पर गिर जाएंगे। परन्तु शान्त, निडर, विचारशील और । गम्भीर लोग ऐसे होते है जो यदि पर्वत की चोटी पर भी चढ़ जाएँ, उनकी शक्ति में और शक्ति जुड़। जाएगी और वे अधिकाधिक सफलतापूर्वक बुरे प्रभावों और कठिनाइयों, जो मानव जाति को घेरे रहती हैं। को नियन्त्रित कर सकेंगे।
Para 13
Para 13: वासना शक्ति नहीं है बल्कि शक्ति का दुरुपयोग है। शक्ति का बिखराव करना शक्ति , को कमजोर करना है। वासना क्रूद्ध तूफान के समान होती है, जो मजबूती से सुरक्षित चट्टान पर भयंकर रूप से असभ्य ढंग से टकराती है। जबकि शक्ति स्वयं घटान के समान होती है जो तूफानों में भी शान्त तथा दृढ रहती है।
Para 14
Para14: यदि आपमें यह शक्ति नहीं है तो आप इसको अभ्यास द्वारा प्राप्त कर सकते हैं। शक्ति,bका आरम्भ, ज्ञान के आरम्भ के समान होता है। आप उन व्यर्थ की बातों में लगे रहते हैं, जान-बूझकर।
उनके शिकार होते रहते हैं, उन पर विजय प्राप्त करके आपको यह कार्य आरम्भ करना चाहिए | ताकत के साथ, हिंसापूर्वक तथा अनियन्त्रित हँसी, बदनाम करने वाली तथा मूर्खता की बात या केवल हँसाने लिए मजाक करना इन सब चीजों को एक तरफ कर देना चाहिए. क्योंकि इनमें बहमूल्य शक्ति नष्ट होती है।
Para 15
Para 15 : सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि केवल एक लक्ष्य मस्तिष्क में रखिए; आपका लक्ष्य वैध तथा लाभदायक हो और पूरे मन से इसमें लग जाइए | आपको कोई भी चीज इस उद्देश्य से एक ओर न हटाए । स्मरण रखिए, “वह व्यक्ति जिसके मन में बहुत से लक्ष्य होते हैं, सब प्रकार से अस्थिर होता है।’ सीखने के लिए उत्सुक रहिए, लेकिन माँगने में उदासीन रहिए। अपने कार्य की पूरी जानकारी रखिए और यह जानकारी आपकी अपनी होनी चाहिए। जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते चलें. अपनी आत्मा का
मार्गदर्शक, त्रुटिरहित आवाज का अनुगमन कीजिए। इससे आपको एक के बाद दूसरी विजय मिलती रहेगी। आप धीरे-धीरे सम्मान एवं प्रतिष्ठा के पद तक ऊपर उठेंगे और आपका निरन्तर विस्तृत होने वाला दृष्टिकोण आपके समक्ष जीवन का आवश्यक उद्देश्य और सुन्दरता प्रकट करेगा। यदि आप
स्वयं में पवित्र हैं तो आपको स्वास्थ्य लाभ होगा; यदि आपमें सुरक्षित विश्वास है तो आपको सफलता प्राप्त होगी; आपका स्वयं पर नियन्त्रण है तो आपको शक्ति प्राप्त होगी और आप जो भी करेंगे उसमें उन्नति होगी; क्योंकि यदि आप एक अविभाजित इकाई तथा स्वयं को सेवक न बनाने वाले बन जायें, तो ईश्वरीय नियम जिससे यह ब्रह्माण्ड संचालित है, के साथ आप समाहित हो जाएँगे। आपको ब्रह्माण्ड के जीवन तथा अमर अच्छाई के नियम विरुद्ध नहीं बल्कि उसके साथ मिलकर कार्य करना चाहिए | इससे आप जो स्वास्थ्य प्राप्त करेंगे वह स्थायी होगा। आप जो सफलता प्राप्त करेंगे वह अगणित और शाश्वत होगी। आप जो प्रभाव तथा शक्ति प्राप्त करेंगे वह युगों-युगों तक बढ़ता चला जाएगा, क्योंकि वह ब्रह्माण्ड को गतिशील रखने वाले अपरिवर्तनीय सिद्धान्त का अंग होगा।
Para 16
Para 16 : इस प्रकार स्वस्थ रहने का रहस्य है-पवित्र हृदय और संयमित मस्तिष्क सफलता का रहस्य है-अविचलित और स्थिर विश्वास तथा बुद्धिमानीपूर्वक चयनित उद्देश्य, तथा शक्ति का रहस्य है-वासना के काले घोड़े को स्थिर दृढ़ इच्छा–शक्ति से नियन्त्रित करना।
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