UP Board Chapter 3 Class 11th THE ANT AND THE GRASSHOPPER

UP Board Chapter 3 Class 11th THE ANT AND THE GRASSHOPPER

BoardUP Board
Text bookNCERT
Class 11th
SubjectEnglish
Chapter Chapter 3
Chapter nameTHE ANT AND THE GRASSHOPPER
Chapter Number Number 1 Introduction
CategoryEnglish PROSE Class 11th

UP Board Chapter 3 Class 11 English

Introduction

Introduction to the lesson : This lesson has been written by W. S. Maugham. When the author wasasmall boy he was made to learn by heart the story ‘The Ant | And The Grasshopper’. It teaches a useful lesson that industry is rewarded and
giddiness punished. Here the writer tells us about two brothers. The elder brother George Ramsay was sincere, hard working and good to his wife and children. The younger brother Tom Ramsay was irresponsible. He had left his wife and children.
He did not earn anything but borrowed heavy sums. He did not return the money he borrowed. The elder brother used to pavoffTom’s debts. The younger brother married an old lady. She died soon leaving him huge amount of money. It means that it is wrong to say that ‘hard work is rewarded and laziness punished in this lesson.

पाठ का परिचय

पाठ का परिचय-प्रस्तुत पाठ W.S. Maugham के द्वारा लिखा गया है। जब लेखक छोटा बालक था ‘चीटी और टिड्डा’ की कहानी उसे जबानी रटा दी गई थी। यह कहानी हमें लाभप्रद शिक्षा देती है कि परिश्रमी का सम्मान होता है और आलसी को सजा मिलती है। यहाँ लेखक दो भाइयों के बारे में बतलाता है। बड़ा भाई जॉर्ज रामसे विश्वास वाला, परिश्रमी तथा अपनी पत्नी व बच्चों के प्रति भला था। छोटा भाई। टॉम रामसे गैर जिम्मेदार था। उसने अपनी पत्नी और बच्चों को छोड़ दिया था। वह कुछ भी नहीं कमाता था, बल्कि काफी पैसा उधार लेता था। कर्ज को वह चकाता नहीं था। उसका बड़ा भाई उसके कर्ज को चुकाता था। छोटे भाई ने एक वृद्ध महिला से शादी कर ली। वह स्त्री बड़ी मात्रा में धनराशि छोड़कर शीघ्र
ही मर गई। इस पाठ में इसका अर्थ यह हुआ कि ‘परिश्रमी को पुरस्कार मिलना और आलसी को दण्ड मिलना’ इस दुनिया की गलत कहावत है।

पाठ का हिन्दी अनुवाद

Para1

Para1: जब मैं बहुत छोटा बालक था, तब मुझे ला फान्टेन की कुछ पशु-पक्षियों की विशेष कहानियाँ मौखिक याद कराई गई। प्रत्येक कहानी से मिलने वाली शिक्षा समझाई गई। जो कहानियाँ मैंने याद कीं, उनमें से एक कहानी ‘चीटी और टिड्डा’ थी, जिसका उद्देश्य बच्चों को यह ज्ञानवर्धक शिक्षा देना था कि इस अपूर्ण संसार में परिश्रम को पुरस्कार मिलता है और लापरवाही व आलस्य को दण्ड मिलता है। इस प्रशंसित कहानी में (मैं यह कहने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ जिसे हम विनम्र भाव से परन्तु भूल से यह समझते हैं कि इसे प्रत्येक व्यक्ति जानता है) चींटी जाड़े की ऋतु के लिए भोजन सामग्री को एकत्रित करने के लिए गर्मियों में परिश्रम करके व्यतीत करती है, जबकि टिड्डा घास की पत्ती पर बैठकर सूर्य की ओर मुँह करके गीत गाता रहता है। जाड़े में चींटी को आराम से भोजन मिलता है, परन्तु टिडे का भोजन का भण्डार खाली होता है। वह चींटी के पास जाकर थोड़ा-सा भोजन माँगता है। तब चीटी उसे अपना यह सबका जाना हुआ उत्तर देती है-

“तुम गर्मियों में क्या करते रहे थे?”
“मैं गाना गाता था, मैं दिन-रात गाना गाता रहता था।’
“तुम गाना गाते रहे। अच्छा, तब जाओ और नाचो।”

Para 2

Para 2: मैं कभी भी इस कहानी की शिक्षा से सहमत नहीं हो सका। ऐसा मैं अपनी हठधर्मिता के। कारण नहीं बल्कि बचपन में पाई जाने वाली बद्धि की अपरिपक्ता के कारण मानता था। जिसमें नैतिक ज्ञान की कमी होती है। मेरी सहानुभूति टिडे के साथ थी और कुछ समय तक मैं चींटी देखते ही उस पर पैर रखे बिना नहीं रहता था। इस संक्षिप्त विवरण में (और जैसा कि मैंने बाद में इसे पूर्णतः मानवीय ढंग से पाया है। मैंने विवेक तथा सामान्य बुद्धि के प्रति असहमति प्रकट की थी।

Para 3

Para 3 : मुझे यह शिक्षाप्रद कहानी उस समय आवश्यक रूप से याद आ गई जब मैंने एक दिन जॉर्ज रामसे को अकेले एक जलपान गृह में लंच करते देखा। मैंने पहले कभी किसी व्यक्ति को इतना
उदास नहीं देखा था। वह आकाश की ओर एकटक देख रहा था। वह ऐसे दिख रहा था मानो सारे संसार का वजन उसके कन्धों पर आ गया हो। उसे ऐसे देखकर मुझे बहुत दुख हुआ। मुझे आशका हुई कि। उसका अभागा भाई फिर परेशान कर रहा है। मैं उसके पास गया और अपना हाथ आगे बढ़ाया।।

“तुम कैसे हो?” मैंने पूछा।
मैं ठीक नहीं हूँ, उसने उत्तर दिया।
“क्या फिर टॉम का ही मामला है?
उसने आह भरी।
“हाँ, यह फिर टॉम ही का मामला है।
“तम उसे छोड़ क्यों नहीं देते? तुमने विश्व में उसके लिए सभी कुछ किया है। अब तक तुम जान गये होगे कि वह बिल्कुल नालायक है।

Para 4

Para 4: मेरे विचार से प्रत्येक परिवार में एक कुल कलंक होता है। टॉम बीस साल से उसके लिए परेशानी पैदा करने वाला रहा था। उसने अपना जीवन काफी सम्मानपूर्ण ढंग से आरम्भ किया था। उसने व्यापार शुरू किया, विवाह किया और उसके दो बच्चे हुए। रामसे परिवार पूरी तरह सम्मानित था और हर तरह से यह माना जाता था कि टॉम रामसे अच्छा और सम्मानित जीवन व्यतीत करेगा। लेकिन एक दिन बिना पूर्व सूचना के उसने यह घोषणा कर दी कि उसे काम करना अच्छा नहीं लगता और वह विवाह बन्धन के भार को सहन करने की क्षमता नहीं रखता। वह मौज-मस्ती करना चाहता है। उसने किसी तर्क को नहीं सुना। उसने अपनी पत्नी और काम-धन्धे को छोड़ दिया। उसके पास थोड़ा सा धन था जिससे यूरोप की विभिन्न राजधानियों में उसने मौज-मस्ती की। उसके कारनामों के समाचार समय-समय पर उसके रिश्तेदारों के पास पहँचते रहते थे। उन्हें गहरा दुख पहुँचता था। वह निश्चय ही मजे उड़ा रहा। था। रिश्तेदार बहुत दुखी होते और कहते कि जब उसका पैसा खर्च हो जाएगा तो क्या होगा। उन्हें शीघ्र ही पता चला कि वह कर्जदार हो गया है। वह आकर्षक और नि:संकोची स्वभाव का व्यक्ति था। मुझे कभी कोई ऐसा दूसरा आदमी नहीं मिला जिसको उधार के लिए मना करना अधिक कठिन हो। वह अपने मित्रों से निरन्तर धन लेने लगा। वह असानी से मित्र बना लेता था। परन्तु वह हमेशा ही कहता था

कि आवश्यकताओं पर धन खर्च करना नीरस है। उसे धन को विलासिता और आनन्द-प्रमोद पर खर्च करना अच्छा लगता था। इसके लिए वह अपने भाई जॉर्ज पर निर्भर रहता था। वह उस पर अपने । आकर्षण को नष्ट नहीं करता था। जॉर्ज गम्भीर व्यक्ति था और ऐसे प्रलोभनों का उस पर असर नहीं होता था। उसका चरित्र अच्छा था। एक दो बार वह टॉम के सुधर जाने के आश्वासनों का शिकार हो गया। और उसे काफी धन दे दिया, जिससे वह नया जीवन आरम्भ कर सके। इस धन से टॉम ने एक कार और
कुछ आभूषण खरीद लिए। परन्तु जब परिस्थितियों ने जॉर्ज को यह सोचने के लिए बाध्य कर दिया कि उसका भाई कभी कोई कार्य नहीं करेगा तो उसने उससे सम्बन्ध खत्म कर लिए। टॉम ने बिना किसी। परेशानी के उसको मूर्ख बनाकर उससे धन हड़पना शुरू कर दिया। एक सम्मानित वकील को यह अच्छा नहीं लगता था कि वह अपने भाई को उसके मन पसन्द जलपान गृह में मदिरा कक्ष में कॉकटेल हिलाता हए देखे। या अपने क्लब के बाहर टैक्सी ड्राइवर की सीट पर बैठे प्रतीक्षा करते हुए देखे। (जार्ज ऐसा नहीं चाहता था) टॉम कहता था कि शराबघर में नौकरी करना या टैक्सी चलाना पूरी तरह सम्मानजनक कार्य है, किन्तु यदि जॉर्ज उसे दो सौ पॉण्ड देने को तैयार हो तो परिवार के सम्मान के लिए उसे यह कार्य बन्द करने में कोई आपत्ति नहीं होगी। जॉर्ज ने उसे धन दे दिया।

Para 5

Para 5 : एक बार टॉम जेल जाते-जाते बचा। जॉर्ज बुरी तरह घबरा गया। उसने अपमानजनक मामले की पूरी जाँच की। टॉम ने वास्तव में सभी सीमाएँ पार कर दी थीं। वह निरंकुश, विवेकहीन और स्वार्थी बन गया था। लेकिन उसने पहले कभी कोई बेईमानी का कार्य नहीं किया था, बेईमानी से जॉज का अभिप्राय गैर-कानूनी से था; और यदि उस पर मुकद्दमा चलाया जाता तो निश्चय ही उसे सजा होती। परन्तु जॉर्ज अपने एकमात्र भाई को जेल नहीं जाने दे सकता था। क्रोनशॉ नामक जिस व्यक्ति को टॉम

ने ठगा था, वह बदला लेना चाहता था। वह मामले को न्यायालय में ले जाने पर दृढ़ था। वह कहता था कि टॉम दुष्ट है और उसे दण्ड मिलना ही चाहिए। मामले को समाप्त करने के लिए जॉर्ज को बहुत कष्ट उठाना पड़ा और पाँच सौ पौण्ड देने पड़े। मैंने उसे इतने क्रोध में कभी नहीं देखा था जितना उस समय जब उसे मालूम हुआ कि टॉम और क्रोनशॉ चैक भुनाते ही एक साथ मॉण्ट कार्लो चले गये। वहाँ उन्होंने ऐश-आराम से एक माह व्यतीत किया।

Para 6

Para 6:बीस वर्ष तक टॉम ने घुड़दौड़ में दाँव लगाए और जुआ खेला, अति सुन्दर लड़कियों के साथ प्रेम का नाटक किया, नृत्य किया, सबसे महँगे जलपान गहों में भोजन किया और कीमती वस्त्र
पहने । वह हमेशा चुस्त और सुन्दर लगता था। यद्यपि वह 46 वर्ष का था लेकिन आप उसे कभी 35 वर्ष से अधिक का नहीं कह सकते थे। वह काफी हँसमुख साथी था। यद्यपि आप जानते थे कि वह एकदम निकम्मा था लेकिन आपको उसकी संगत में आनन्द ही आता। उसमें अत्यधिक उत्साह, तड़क-भड़क और अदभूत आकर्षण था। मैंने उस धन को देने में कभी आनाकानी नहीं की जो वह अपनी दैनिक आवश्यकताओं के लिए मुझसे नियमित रूप से लेता था। मैं जब भी उसे पचास पॉण्ड देता था. यही समझता था कि मुझ पर उसका कर्ज है। टॉम प्रत्येक व्यक्ति को जानता था और प्रत्येक व्यक्ति टॉम को। जानता था। आप उसे कभी अच्छा नहीं कह सकते थे, किन्तु आप उससे आकर्षित हुए बिना भी नहीं रह ।
सकते थे।

Para 7

Para7: बेचारा जॉर्ज जो अपने निकम्मे भाई से केवल एक वर्ष बड़ा था, साठ वर्ष का लगता था। पच्चीस वर्षों में किसी भी वर्ष उसने पन्द्रह दिन से अधिक की छुट्टी कभी नहीं ली। वह प्रतिदिन प्रातः साढ़े। नौ बजे अपने आफिस पहुँच जाता था और छ: बजे से पहले कभी वापस नहीं आता था। वह ईमानदार. परिश्रमी और योग्य था। उसकी पत्नी अच्छी थी। उसके प्रति अविश्वास की बात उसने कभी नहीं सोची थी। उसकी चार पुत्रियाँ थीं, जिनके लिए वह अच्छा पिता था। वह अपनी आमदनी का एक तिहाई भाग
बचाना आवश्यक समझता था। उसकी योजना थी कि 55 वर्ष की उम्र में अवकाश लेकर वह गाँव के छोटे। से घर में चला जाएगा और वहाँ अपने बाग की देखभाल करेगा तथा गोल्फ खेलेगा। उसका जीवन दोषमुक्त था। वह प्रसन्न था कि वह बूढ़ा हो रहा है क्योंकि टॉम भी बूढ़ा हो रहा था। उसने अपने हाथ रगड़े और कहा-
“जब टॉम युवा तथा सुन्दर था तब सब ठीक था, किन्तु वह मुझसे एक वर्ष छोटा है। चार वर्ष में वह पचास का हो जाएगा। तब वह जीवन को इतना सरल नहीं पाएगा। पचास वर्ष का होने तक मेरे पास तीस हजार पॉण्ड होंगे। पच्चीस वर्ष से मैं कह रहा हूँ कि टॉम की अन्त में स्थिति दयनीय होगी। हम देखेंगे कि तब उसे कैसा लगेगा। हम देखेंगे कि क्या वास्तव में कार्य करने में सुख मिलता है या निकम्मा रहने में।

Para 8

Para 8: बेचारा जार्ज ! उससे मुझे सहानुभूति थी। अब मैं उसके पास बैठा यह जानने की कोशिश कर रहा था कि टॉम ने कौन सा लज्जाजनक कार्य किया था। निश्चय ही जॉर्ज बहुत व्यथित था।

Para 9

Para 9: “क्या तुम जानते हो, अब क्या हुआ ? उसने मुझसे पूछा।।
मैं अधिकतम बुरा समाचार सुनने को तैयार था। मैं सोच रहा था कि क्या अंततः टॉम को पुलिस ने पकड़ लिया है। जॉर्ज मुश्किल से बोल पाया।
“तम इस तथ्य से इन्कार नहीं करोगे कि मैं जीवन भर परिश्रमी, सदाचरणवाला सम्मानित और सीधा-सादा रहा हूँ। परिश्रमी और मितव्ययी जीवन के बाद भी मैं सुरक्षित बचत खातों में जमा धन से
प्राप्त थोड़ी सी आमदनी पर अवकाश ग्रहण करने पर सुखी जीवन व्यतीत करने की आशा रखता हूँ। मुझे जिस स्थिति में भी ईश्वर ने रखा, हमेशा अपने कर्तव्य का पालन किया है।
“ठीक है।”
“तम इस बात से इन्कार नहीं कर सकते कि टॉम निकम्मा, अयोग्य, दुराचारी और दुष्ट व्यक्ति रहा। है। यदि कहीं न्याय होता तो वह जेल में होता है।
“यह ठीक है।
जॉर्ज का चेहरा आक्रोश से लाल हो गया।

Para 10

Para 10: कुछ सप्ताह पहले उसने एक महिला से सगाई कर ली जो उम्र में उसकी माँ के बराबर थी। और अब वह मर गई और जो कुछ उसके पास था. टॉम के लिए छोड़ गई। पाँच लाख पौण्ड, एक
शानदार नाव, एक मकान लन्दन तथा एक मकान गाँव में।
जॉर्ज रामसे ने मुट्ठी कसकर मेज पर मारी।।
“यह ठीक नहीं है, मैं तुम से कहता हूँ, यह ठीक नहीं है। सत्यानाश हो, यह अच्छा नहीं हुआ।

Para 11

Para ll:मैं अपने को रोक नहीं पाया। जैसे ही मैंने जॉर्ज के क्रोधित चेहरे को देखा मैं जोर से हँस पड़ा और अपनी कुर्सी से लुढ़क गया। मैं लगभग फर्श पर गिर-सा ही पड़ा। जॉर्ज ने मुझे क्षमा नहीं
किया। लेकिन टॉम मुझे मेफेयर (लन्दन की सुन्दर बस्ती) मैं अपने आकर्षक मकान में रात्रि भोज पर अक्सर बुलाता रहता है। और अगर वह कभी मुझसे छोटी-मोटी धनराशि उधार ले भी लेता है तो केवल अपनी आदत से मजबूर होकर ऐसा करता है। यह धनराशि एक सॉवरेन (इंग्लैण्ड का सिक्का) से अधिक नहीं होती है।

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