Board | UP Board |
Text book | NCERT |
Class | 11th |
Subject | English |
Chapter | Chapter 6 |
Chapter name | A DIALOGUE ON CIVILIZATION |
Chapter Number | Number 1 Introduction |
Category | English PROSE Class 11th |
UP Board Syllabus Chapter 6 Class 11th English (Prose) |
Introduction to the lesson
Introduction to the lesson: This essay has been written by C.E.M. Joad. It hasnbeen extracted from his book’The Story of Civilization’. In this conversation, through
a series of questions, the writer explains to Lucy, a little girl, what it means to bencivilized. The necessary things to be civilized are: security, leisure to think in, and
society. Civilized people make beautiful things, think freely, think new things andbkeep the rules. Grown-ups call the first of these things art, the second science and
philosophy, and the third political justice and ethics.
पाठ का परिचय
पाठ का परिचय : प्रस्तुत निबन्ध C.E. M. Joad द्वारा लिखित है। यह उनकी पुस्तक ‘The Story of Civilization’ से उदधृत है। इस वार्तालाप में प्रश्नों की कड़ी के द्वारा, लेखक एक छोटी बच्ची लूसी द्वारा पूछे प्रश्नों के उत्तर में सभ्यता का तात्पर्य बतलाता है। सभ्य होने की आवश्यक चीजें है
सुरक्षा, सोचने की स्वतन्त्रता और समाज। सभ्य लोग सन्दर वस्तएँ बनाते हैं. स्वतन्त्रतापूर्वक सोचते है, नई चीजों के बारे में सोचते हैं और नियमों का पालन करते हैं। प्रौद लोग पहली तीन चीजों को कला, दूसरी को विज्ञान और दर्शन और तीसरी को राजनीतिक न्याय और नीतिशास्त्र कहते हैं।
पाठ का हिन्दी अनुवाद
मैं (लेखक) मैं सभ्यता पर एक पुस्तक लिखने का प्रयास कर रहा हूँ, और मैं यह जानना चाहता हूँ कि सभ्य होना क्या है। तुम्हारा क्या विचार है?
लूसी: ओह मैं समझती हूँ, उचित वस्त्र पहनना, बसों तथा कारों में इधर-उधर घूमना, वस्तुएँ खरीदने के लिए धन का होना तथा चीजें खरीदने के लिए दुकानों का होना ही सभ्य होने की निशानी है।
मैं : ठीक है, परन्तु बच्चे उचित कपड़े पहनते हैं और श्रीमती एक्स, वह महिला जिसे तुम पसन्द नहीं करती. बसों में बैठकर घूमती है और दुकानों से चीजे खरीदती है। क्या तुम कहोगी कि बच्चे और श्रीमती एक्स सभ्य हैं?
लूसी : नहीं, मैं नहीं समझती कि वे तनिक भी सभ्य है। परन्तु, आप समझिए, वे चाहते तो सभ्य हो सकते थे। अब चारों ओर इतनी चीजें हैं कि प्रयास करे तो कोई भी सभ्य हो सकता है। .
मैं तुम्हारा अभिप्राय किस प्रकार की वस्तुओं से है? .
लूसी : मशीनें, रेलगाड़ियाँ, वायरलेस, टेलीफोन और सिनेमा।
- मैं : ठीक है. मैं कह सकता हूँ कि इन चीजों का सभ्यता से कुछ सम्बन्ध अवश्य है परन्त मैं नहीं समझता कि केवल ऐसी वस्तुओं को रखना और उनका उपयोग करना किसी को सभ्य बनाता है।
” लिए भी एक श्रेय की बात होनी चाहिए. वह बात जिस पर कोई गर्व
अन्त-तोगत्वा सभ्य होना किसी के लिए भी एक श्रेय की बात होनी चाहिए.
कर सके और एक रेलगाड़ी में बैठना गर्व करने वाली बात नहीं है। आओ, हम कुछ सभ्य लोगों के बारे में सोचें और देखें क्या इससे हमें कुछ सहायता मिलती है। किसी व्यक्ति का नाम लो जिसे तम सभा समझती हो।
लूसी : शेक्सपियर।।
मैं : क्यों?
लसी: क्योंकि वह एक महान व्यक्ति था आर उसन व नाटक लिखे जिनपर लोग गर्म करो ..
मैं : अच्छा, अब मैं समझता हूँ कि हम विषय के समीप आ रहे हैं। परन्त म
पता है कि हम विषय के समीप आ रहे है। परन्तु मुझे यह बताओ. क्या तुम
शेक्सपियर के नाटकों को पसन्द करती हो?
लूसी : अधिक नहीं।
में : फिर तुम क्यों कहती हो कि वे उच्च कोटि के हैं?.
. खुसी : क्योंकि मैं समझती हूँ, कि एक दिन मैं उन्हें पसन्द करूँगी। चाहे जो हो, वयस्क लोगों के बीच दे बहुत चर्चित रहे है।
मैं: अच्छा, चित्र और संगीत जैसी अनेक वस्तुएँ ऐसी हैं जो तुम्हें बहुत अच्छी नहीं लगतीं, लेकिन वयस्क लोग उनके बारे में बड़ी-बड़ी चर्धाएँ करते हैं। यदि शेक्सपियर के नाटक सभ्यता की पहचान है तो राफेल के चित्र और बीथोवन का संगीत भी सभ्यता के प्रतीक हैं।
लसी : मैं भी ऐसा समझती है.यद्यपि मैं उनके बारे में अधिक नहीं जानती।
मैं: यदि नाटक. चित्र और संगीत जैसी सन्दर वस्तएँ बनाना सभ्य होना है तो शेक्सपियर, राफिल और बीथोवेन जैस लोगों की गिनती इनमें की जा सकती है।
. लूसी : लेकिन वे सभी लोग जिनके बारे में मैंने पढ़ा है, जैसे अरेबियन नाइट्स में खलीफा और राजकुमार जिनके पास शानदार वस्तुएँ थी-महल तथा रेशमी कपड़े, हीरे-जवाहरात, इत्र, सुन्दर चमकदार कपड़े तथा विचित्र कालीन एवं खाने-पीने के लिए स्वादिष्ट पदार्थ और सेवा करने के लिए
वास। क्या वे सभ्य नहीं थे?
मैं : मैं निश्चित रूप से नहीं कह सकता। जैसा तुम जानती हो, वे जो पसन्द करते थे वही उनके पास होता था और जो भी करना चाहते थे, करते थे।
लूसी : अच्छा है, वे क्यों न करें ।
- मैं किसी अच्छी वस्तु के बारे में सोच लो, कुछ भी जो तुम्हें पसन्च हो।
लूसी : राध की टाफियाँ।
मैं: अच्छा, मान लो तुम बहुत धनवान होती, तुम्हारे पास उतना धन होता जितना तुम सम्भवतः चाहती और तुम हजारों-लाखों टाफियों खरीद लेती। क्या तुम खाते-खाते उनसे ऊब न जाती ?
लूसी : मैं भी ऐसा ही समझती हूँ।
मैं : और यही बात गुलेलों के लिए है।
लूसी : आपका क्या अभिप्राय है ?
मैं : जॉन अन्य किसी वस्तु की अपेक्षा गुलेलों को अधिक पसन्द करता है। परन्तु मान लो वास्तव. में वह बहुत धनवान है, और जैसा कि उसे गुलेले अन्य सभी चीजों से अधिक पसन्द थीं, वह गुलेल खरीदने में सारा धन खर्च करता ताकि उसके पास सैकड़ों गुलेले होतों। फिर भी उससे अधिक
सौभाग्यशाली न होता जितना वह एक या दो गुलेले होने के साथ था: क्या वह होता?
नूसी : आपके कहने का अर्थ है वह एक साथ एक या दो से अधिक गुलेलें नहीं चला सकता था।
. मैं : हाँ वह शीघ्र ही इतनी गुलेलों से पूरी तरह ऊब जाता।
लूसी : मुझे भी ऐसा ही लगता है कि वह ऊब जाता; परन्तु उसका सभ्य होने से क्या सम्बन्ध है?
- मैं : अरे, यह सम्बन्ध है कि वे वस्तुएँ जिनके बारे में तुमने अरेबियन नाइट्स में पदा. शानदार मडल और आकर्षक वस्त्र और सैकड़ी वास और इस प्रकार की सभी वस्तएँ मझे ऐसी पतीत होती है जैसे वे वस्तएँ वयस्कों के लिए टाफियों और गुलेलों की पूर्ति करने वाली हो। लोग राजाओं के पत्रों के
रूप में जन्म लेते हैं और वे बड़े होकर शक्ति और धन विरासत में प्राप्त करते हैं और फिर स्वय से . कहते है, “अब मुझे सबसे अधिक क्या पसन्द है? और यह जान लेने पर कि वह क्या चीज थी. उन्होंने अपना सारा धन उस सबसे अधिक प्रिय वस्तु को उतनी मात्रा में या संख्या में पाया करने में व्यय
कर दिया जितना वे प्राप्त कर सकते थे।
लूसी : और फिर वे उससे ऊब गये।
मैं: हाँ, क्योंकि कोई व्यक्ति जो करना चाहता है उसे एक विशेष मात्रा में कर लेता है और उस वस्तु का आनन्द ले लेता है जो उसे पसन्द ६. तब वह उसको और अधिक मात्रा नहीं चाहता।
लुसी : टाकियों से ऊब जाने की तरह। लेकिन वह कुछ समय के लिए ठहर सकता है और पुनः खामा प्रारम्भ कर सकता है।
मैं : रोम के लोग ऐसा ही करते थे। वे बहुत अधिक भोजन किया करते थे, और वे अधिक नहीं ख सकते थे, तो कुछ ऐसी चीजें लेते थे जिनसे उन्हें उल्टी या दस्त भाने लगे। जब उनका पेट खाली जाता तो फिर से खाने लग जाते थे। लेकिन मैं इसे सभ्य होना नही कहता। क्या तम ऐसा मानती हो ।
लसी : नहीं, मैं भी इन्हें सम्य नहीं मानती।
मैं : अन्त में सुअर ऐसा ही करते हैं यद्यपि उनमें उल्टी या दस्त से पेट खाली करने की समझ नहीं होती है। . .
लूसी : और सुअर बिल्कुल सभ्य नहीं होते। …
मैं : अच्छा, तब हमें यह कहना चाहिए कि धन और शक्ति का प्रयोग केवल वह वस्तु पाने के लिए करना, जो किसी को पसन्द हो और वह काम करने के लिए, जो उसे अच्छा लगता हो, भले ही कुछ समय के लिए यह बहुत अच्छा लगे, सभ्य होना नहीं है। दूसरे शब्दों में, केवल शानदार और वैभवपूर्ण
होना तथा वैभवपूर्ण जीवन बिताना ही सभ्यता नहीं है। और जैसा कि संसार के अधिकतर लोग जो धनवान और शक्तिशाली रहे है और जिन्होंने अपने धन और शक्ति का उस तरह उपयोग किया है, वे सभ्य नहीं रहे।
लूसी : क्या अरेबियन नाइट्स के खलीफाओं की तरह वस्तुओं को अधिकार में रखना सभ्य होना नहीं है?
मैं : नहीं। सन नाटकों और चित्रों की भांति सुन्दर वस्तुएँ भी अवश्य होनी चाहिए जिनकी हम चर्चा कर रहे थे।
लूसी : आपको कैसे पता चलता है कि कौन-सी वस्तुएँ सुन्दर है? ,
. मैं : जिन वस्तुओं को बार-बार देखकर भी हम ऊबते नहीं है, वे वस्तुएँ सुन्चर हैं। सुन्दर वस्तुएँ हमेशा रहती हैं। अर्थात् लोग उनको सभी युगों में पसन्द करते आए है। लेकिन वे वस्तुएँ जो वयस्कों के लिए टॉफियों की पूरक हैं. केवल थोड़े समय रहती हैं क्योंकि लोग उनसे ऊब जाते हैं। अच्छा, हम थोड़ा पीछे चलते हैं। वे दुकानें, मशीनें और कारें जिनकी हम चर्चा कर रहे थे, बिल्कुाल सुन्दर नहीं होती, फिर भी हमारे विचार से उनका सभ्य होने से कुछ सम्बन्ध अवश्य हो सकता है।
लूसी : अच्छा है. मैं जानती हूँ कि वह क्या है। उन सभी का आविष्कार हुआ है, और आविष्कार करना उस प्रकार का कार्य है जिसे लोग तभी करते हैं जब वे सभ्य होते हैं। जेम्स वाट के केतली पर ध्यान देने से और न्यूटन के सेब को गिरते हुए देखने से, और इसी प्रकार की घटनाओं से आविष्कार
होते हैं।
अच्छा, बहुत से लोगों ने वाट और न्यूटन से पहले केतलियों में पानी उपलते हुए और सेव को गिरते हुए देखे थे. फिर भी उन्होंने इस सम्बन्ध में कोई आविष्कार नहीं किया। क्यों नहीं किया ?
सूसी : मेरे विचार से उन्होंने इस सम्बन्ध में कोई विशेष बात नहीं. देखी।
मैं: बिल्कल। लेकिन न्यूटन और वाट ने उनमें विशेष बात देखी, यही मुख्य बात थी। गिरते हुए सेबों और केतलियों से ऊबलते हुए पानी ने उन्हें नये विचार सोचने की प्रेरणा दी, और जैसा कि उन्होंने नये विचार सोचे, लोग संसार के बारे में अधिक जानने लगे और आविष्कार करने लगे। आज मैं यद्यपि उन वस्तुओं के बारे में निश्चित रूप से कुछ नहीं कह सकता जिनका हम आविष्कार करते हैं. मैं नहीं समझता कि नये विचार सोचने का कार्य, चाहे उसके परिणामस्वरूप आविष्कार होते हों अथषा नहीं.. सभ्य होने का प्रतीक है।
लूसी: क्यों ?
मैं : क्योंकि, जब तक लोग ठीक एक-दूसरे के समान सोचते हैं. कभी कुछ नहीं बदलता।
लसी: आपका मतलब है कि यदि प्रत्येक व्यक्ति में हमेशा ऐसा ही सोचा होता जैसा उनके माता-पिता ने सोचा था, तो अभी तक हम असभ्य बने रहते ? …
मैं: यही बात है। ऐसा इसलिए है क्योंकि लोग नई बातें सोचते हैं. सभ्यता का जन्म होता है और कुछ नया सोचमे के लिए उन्हें स्वतन्त्र रूप से सोचना आवश्यक है।
… सूसी: क्यों. क्या वे सोचने के लिए स्वतन्त्र नहीं है?
… हो.तुम जानती थे, लोगों ने नये विचार सोचे नहीं है। पात से लोगों को, जिन्होंने स्वयं मोला याताया गया कि वसरे लोगों से अलग साधना गलत हा साधारणतया ऐसे धर्मगुरु हुए हैं जिन्होंने लोगों को बताया कि यदि वे ऐसा साग तो बवता उन्ह वण्ड वंगे। लोग इन धर्मगुरुओं का विश्वास
करते थे और देवताओं से डरते थे और वैसा ही सोचते थे जैसा सोचने के लिए उनसे कहा जाता और धर्मगुरु नभी हो तो भी वे लोग जो अपने पड़ोसियों से अलग सोचते थे या करते थे, हमेशा के पात्र बन जाते हैं। वेखो, तुम उन लड़कियों से स्कूल में कितना खराब व्यवहार करती हो जो अ
लड़कियों से थोड़ा भिन्न होती है। वयस्क भी बिल्कुल ऐसे ही होते है। स्वतन्त्रतापूर्वक सोचना प्रायः मित प्रकार से सोचना होता है. और ये बातें लोगों के लिए स्वतन्त्रतापूर्वक सोचना बहुत कठिन कर देती है।
फिर भी, जैसा हमने देखा है, बिना स्वतन्त्रतापूर्वक सोधे सभ्यता सम्भव नहीं हो सकती।
लसी : लेकिन मेरी समझ में अब भी नहीं आता कि और अधिक संख्या में लोग स्वतन्त्रतापूर्वक क्यों नहीं सोचते ? जैसा कि आप कहते हैं कि यह इतना महत्त्वपूर्ण है।
मैं इससे पहले कि किसी व्यक्ति को ऐसा करने का अवसर मिले अनेदा बातें अति आवश्यक है। जैसे, उसे सुरक्षा प्राप्त होनी चाहिए, यदि किसी व्यक्ति को अपने लूट लिए जाने या किसी क्षण अपनी हत्या का डर है तो कोई भी व्यक्ति किसी भी विषय में सोच ही नहीं सकता। उसके पास सोचने के लिए
पर्याप्त समय होना चाहिए। यदि उसे भोजन और पहनने के लिए कपड़ा प्राप्त करने अर्थात् आजीविका कमाने में सारी शक्ति लगानी पड़ती है तो फिर उसके पास सोचने का समय कहाँ होता है? अपने विचारों के आदान-प्रदान के लिए उसे अन्य लोगों की भी आवश्यकता होगी। अतः तुम कह सकती हो कि सुरक्षा, अवकाश और समाज जो सब स्वतन्त्र सोच के लिए आवश्यक हैं, वे सभ्यता के लिए भी आवश्यक हैं!
लूसी : क्या सभ्यता के लिए इतना ही आवश्यक है ?
मैं : मेरे विचार से एक अन्य थात भी आवश्यक है।
लूसी : वह क्या है?
मैं : यह सब कार्य सज्जन बनने के लिए है।
लूसी : लेकिन सज्जन होने का इससे क्या सम्बन्ध है ? वास्तव में कोई भी सज्जन बनना मट्टी याहता, लोग केवल इसलिए सज्जन होते हैं क्योंकि यदि वे ऐसे न हो तो परेशानी में पड़ सकते हैं।
मैं : ऐसा सम्भव है। और फिर वयस्कों के साथ तो ऐसा ही है। यदि मैं किसी और के बच्चे का अपहरण करना या उसका गला काटना चाहूँगा. या उसकी कार चुराना या उसके टेनिस के बल्ले में खेलना चाहूँ तो मैं ऐसा नहीं करता, ऐसा इसलिए कि यदि मैं पकड़ा जाऊँगा तो भारी परेशानी में पड़
जाऊँगा।
लूसी : परन्तु सभ्यता का इससे क्या सम्बन्ध है?
मैं बिल्कुल सम्बन्ध है। यदि हम सब जो लेना चाहें लें और एक-दूसरे के बच्चों को लेकर भाग जाएँ और एक-दूसरे के टेनिस के बल्ले चुरा ले तो सब कुछ चलता नहीं रह सकता। हम सब इस आर उस वस्तु के लिए लड़ते-झगड़ते रहते और कोई भी व्यक्ति किसी वस्तु का आविष्कार नहीं कर पाता न सुन्दर वस्तुएँ बना सकता, जीवन अत्यधिक खतरनाक हो जाता । फलस्वरुप किसी प्रकार की कार सभ्यता ही नहीं होती।
लूसी : क्या वयस्क लोग इसीलिए नियमों का पालन करते हैं और सज्जन बने रहते हैं ?
मैं : शायद यही एक कारण नहीं है। मैं निश्चित नहीं हैं, लेकिन निश्चित ही यह मुख्य बातों में एक है। अतः देखो, सज्जन बने रहने का सभ्यता से कुछ सम्बन्ध है और सज्जन होने का अर्थ है-अपन पडोसी के प्रति न्यायपूर्ण व्यवहार करना तथा उसकी सम्पत्ति को सम्मान देना तथा काननों का पालन
गलन करना, तथा सम्भवतः ऐसी ही अन्य बातें भी।
लूसी : अन्य कौन-कौन सी बातें ? मैं यह जानना चाहती हूँ कि मला या सज्जन होना क्या है।
मैं : मैं भी यह जानना चाहूँगा और दूसरे अनेक व्यक्ति भी यह जानना चाहेंगे। कुछ भी हो, हा इन बातों में से कुछ का पता लगा लिया है जो सभ्य होने के लिए आवश्यक हैं-सन्दर वस्तएँ बनाना स्वतन्त्रतापूर्वक विचार करना व नई बातें सोचना, नियमों का पालन करना जिनके बिना लोग आपस मिलकर नहीं रह सकते । वयस्क लोग इनमें से पहली बारा को कला कहते हैं, वूसरी को विज्ञान दर्शनशास्त्र और तीसरी को राजनीतिक न्याय तथा नीतिशास्त्र । ये बातें पूर्ण रूप से सम्माता भले का हो; परन्तु कुछ भी हो ये बातें सभ्यता से इमेशा जुड़ी रहेगी।
UP Board Syllabus Chapter 6 Class 11th English (Prose) |